यहीं से शुरू

डॉ. प्रसन्न पाटशाणी के यह एक दीर्घ कविता है । इस कविता प्रवाह में कहीं से शुरू करें आपको आरंभ मिलेगा। जहाँ रुकेंगे वही कविता विराम मिल जाता है । यह कविता की आंतरिक गति का परिचायक है।
Author: डॉ. प्रसन्न पाटशाणी
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INR 350.00
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