अक्टूबर - दिसंबर २०१७

इस अंक के संपादकीय में प्रथम स्वाधीनता संग्राम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर केंद्रित एक विचारोत्तेजक आलेख प्रकाशित किया गया है। साथ ही, जनजातीय विश्वविद्यालय 'किस' से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट, अशोक पांडेय द्वारा प्रस्तुत की गई है ।
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इस अंक में मनोज कुमार सिंह, डॉ. स्वदेश भारती, शिबन कृष्ण रोणा एवं डॉ. लखीधर दास द्वारा लिखित प्रबंध प्रकाशित किए गए हैं।कहानी में पूजा सिंह, महेश कटारे, चंद्रशेखर रथ, दामोदर खड़से, देवाशीष पाणिग्राही तथा सदानंद त्रिपाठी की कहानियाँ शामिल हैं । ब्रजनाथ बड़जेना, राजेंद्र उपाध्याय, प्रो. श्यामलाल उपाध्याय, डॉ. वसुंधरा मिश्र, डॉ. अभिषेक शर्मा, डॉ. संजीता वर्मा, हरप्रसाद परीछा पट्टनायक, मनोरमा विश्वाल महापात्र, प्रीति राय, उपेंद्र प्रसाद नायक, समरेंद्रनाथ महापात्र, अजय प्रधान, अखिल नायक, सेनापति प्रद्युम्न केशरी, प्रीतिधारा सामल एवं सूर्य मिश्र की कविताएँ इस अंक में शामिल हैं।

भेंटवार्ता खंड में भारत सरकार के डाक विभाग के सचिव श्री अनंता नारायण नंद से की गई संवादात्मक बातचीत प्रस्तुत की गई है, जो उनके अनुभवों और दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। वहीं पर्यटन अनुभाग में बिजय केतन पट्टनायक का आलेख पाठकों को एक नई सांस्कृतिक और भौगोलिक यात्रा पर ले चलता है।

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