माटी जन्म से उर्वर : मानव जन्म से बर्बर
डॉ. प्रसन्न पाटशाणी के द्वारा लिखे गए कविता संकलन 'माटी जन्म से उर्वर : मानव जन्म से बर्बर' के भाषांतर डा सुनीता देवी ने किया है।
Publisher: Viswamukti Foundation Trust
Author: डॉ. प्रसन्न पाटशाणी
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'माटी जन्म से उर्वर : मानव जन्म से बर्बर' कविता संकलन प्रकृति ओर मानव के अटूट रिश्ते में आई दरार से उपजे भावोंको लेकर रचे उद्गार है। पता नहीं माटी का कोप कब क्या कर बैठे ? मनुष्य का बर्बर स्वभाब इसे समझाता ही नहीं । डॉ. प्रसन्न पाटशाणी का जन्म बैभबशाली चिलिका झील के किनारे । उनका कहानी, नाटक, कविता अदि लगभग १०० पुस्तके प्रकाशित है | डॉ. प्रसन्न पाटशाणी ओडिशा में केबिनेट मंत्री रह चुकी है।