मार्च - मई २०२५

इसी संख्या में "एकता का महाकुंभ" को मुख्या प्रसंग के रुप में पेश किया गया है । इस लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एकता, संस्कृति और भारतीय मूल्यों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम का वर्णन है।
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इसी संख्या के मुख्य प्रसंगों में "एकता का महाकुंभ" (नरेन्द्र मोदी) एक अद्भुत आलेख है जो राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समरसता की भावना को प्रकट करता है। इसी क्रम में "गंगा — ज्ञान कुंतल भर और कर्म छँटाक भर" (नीरजा माधव) में गंगा के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कर्मप्रधान स्वरूप को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। स्वतंत्र प्रसंग में "कीट: शिक्षा का कोणार्क", "भारत रत्न: अटल बिहारी वाजपेयी" आलेख है । प्रबन्ध में प्रो. प्रफुल्ल कुमार महांती का आलेख "क्षमता", तेलुगु की लोकवार्ता में श्रीकृष्ण विषय पर प्रो. एस. शेषारत्नम् ने लोककथाओं है।

गल्प में रमेश जोशी की कहानी "डरता कौन है - ईश्वर या ठेकेदार?", गुजराती लेखिका वसुधा ईमामदार की कहानी "अनुजा, तू है ना", उड़िया लेखक सदाशिव सामन्तराय की कहानी "अकेला" और लेखिका कुमुदिनी पंडा की "संकल्प" हैं। अनोखा व्यक्तित्व में "याद आएँगे भारत के रत्न" है। फीचर लेख में डॉ. विजय केतन पट्टनायक द्वारा रचित "बिजली और वज्रपात" है।

व्यक्तित्व में "छात्रनेत्री से मुख्यमंत्री" लेख में रेखा गुप्ता के संघर्ष और नेतृत्व की प्रेरणादायक यात्रा का वर्णन है। अंत में, विज्ञान में "ए.आई. की गतिशीलता: अनिश्चितता से भरे विश्व में हमारी भूमिका" आलेख में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के वर्तमान और भविष्य पर विचार किया गया है।

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