जुलाई - सितंबर २०२४

यह भाग रथयात्रा स्वतंत्र सख्या है। संपादक शशांक चूड़ामणि ने अस्मिता की वारे मे संपादकीय में कुछ दर्शाया है।
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पत्रिका की इसी भाग में रथ - पथ - जगन्नाथ में श्रीगुंडिचा मंदिर एक अनुपम लीलाखेत्र से आरम्भ होकर गुंडिचा प्रसंग में शेष हुआ हैं । बंग भूमिमे श्रीजगन्नाथ के अलावा रूपश्री महापात्र "महाप्रभु मेरा पहला प्रेम " साक्षातकार भी है। प्रमोद धल की "डारविन का सत्व और दशावतार" भी शामिल है। फीचर में "श्रेस्ट निति ही सामाजिक न्याय " लुङज इनासियो लूला डी सिल्वा, जनदेह की कभी चोरी नहीं की जा सकती - भूपेंद्र यादव,केंद्र मंत्री के साथ साक्षात्कार, पौरिस ओलम्पिक में किट विश्वविद्यालय के १२ खिलाडी शामिल - एक पुरस्कार समारोह की विवरण भी शामिल है। इसके साथ वहत सारे प्रवन्ध , कविताएँ ओर गल्प भी है।

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