प्रसन्न ने अमरनाथ के विश्वरूप में काव्यात्मा देखी हैं । यह कोई बरफ पीड़ दर्शन नहीं है । कवि का ब्रह्मपिंड रूप दर्शन है ।
Author: डॉ. प्रसन्न पाटशाणी
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डॉ. प्रसन्न पाटशाणी प्रकृति का कवि है। वर्षा ने धरती अकाश सागर नदी सब को भिगोया । अमरनाथ में इसी प्रकृति के विश्वरूप को प्रसन्न ने अमरनाथ के विश्वरूप में काव्यात्मा देखी हैं । यह कोई बरफ पीड़ दर्शन नहीं है । कवि का ब्रह्मपिंड रूप दर्शन है । इसमें न धर्म, न जाति ओर न कोई सांप्रदायिक संकीर्णनता है | प्रकृति ओर मानव अभिन्न है । इस पर्वत गुफा में आकर दिव्य भाव का साकार होना ही इस यात्रा की सफलता है ।

डॉ. प्रसन्न पाटशाणी का जन्म बैभबशाली चिलिका झील के किनारे । उनका कहानी, नाटक, कविता अदि लगभग १०० पुस्तके प्रकाशित हुई है । पांच दशक से राजनीती के केंद्र में रह कर भी लेखन नहीं छोड़ा।

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