अक्टूबर - दिसंबर २०२४

पत्रिका के इस संस्करण में युद्ध के विरोध में युद्ध को लेकर डॉ. पी. के. पटसानी ने संपादकीय में आह्वान दी है।
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इसी संख्या में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला के साथ बातचीत है । उसके अतिरिक्त महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी की एक आलेख भी है । और इसके साथ विश्वभूषण हरिचंदन जी का भी एक आलेख है। 'प्रगति का डबल इंजिन' के बारे में तपन कुमार चाँद ने अपनी अभिमत प्रदान की है। इसी संख्या में अनिल विश्वाल जी, संवित पात्रा जी, श्री श्री रविशंकर जी, डॉ. हृषिकेश मल्लिक जी के संदर्भ भी है। प्रो. एस शेषारत्नम जी, भानुमति साहू जी, सदाशिव सामंतराय जी, भागीरथी बेहेरा जी, मुकेश कुमार रुसीवर्मा जी की कहानियाँ है। विष्णुपद सेठी, डॉ. श्रीहरि धल, अस्मित अमृत राज, निरंजन जेना, स्वप्ना मिश्रा, अखिल कुमार मिश्रा, शर्मिष्ठा साहू, डॉ. शकुन्तला बेहुरा, डॉ. राम प्रवेश रजक, अनिल पुरोहित और सुजाता गिरी की कविताएँ आदि है ।

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